क्या है फार्मर रजिस्ट्री…जिसे लेकर परेशान हैं मथुरा के ढाई लाख किसान, तीन विभाग के लिए भी बनी सिरदर्द
मथुरा: फार्मर रजिस्ट्री किसानों और तीन विभागों के कर्मचारियों के लिए सिरदर्द बन गई है। राजस्व, कृषि और पंचायत के कर्मचारी रात-रात भर जागकर किसानों का पंजीकरण करा रहे हैं। 10 ब्लॉकों में 2 लाख 59 हजार किसानों की फार्मर रजिस्ट्री बननी हैं, अब तक सिर्फ 36 हजार किसानों की आईडी बनी है। जिला प्रशासन ने फार्मर रजिस्ट्री में पंजीकरण बढ़वाने के लिए रात में भी कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी है। जो रात-रात भर जागकर निगरानी कर रहे हैं। साथ ही सभी की समीक्षा रिपोर्ट भी हर दिन ली जा रही है।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक सीएससी पर रोजाना 100 किसानों की फार्मर रजिस्ट्री कराने का लक्ष्य प्रशासन ने रखा है। ऐसे में ठंड के बीच सुबह जल्दी ही किसान जनसुविधा केंद्र पहुंच जाते हैं, लेकिन पोर्टल की सुस्ती के कारण 15-20 रजिस्ट्री ही बड़ी मुश्किल से हो पाती हैं। इसी कारण अभी तक जिले में 13 प्रतिशत ही आंकड़ा पहुंच पाया है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी सुबोध कुमार ने बताया कि मोबाइल नंबर या ई-मेल आईडी पोर्टल पर दर्ज करानी होती है। अधिकतर किसान मोबाइल नंबर डालते हैं। इसके बाद ओटीपी काफी देर तक नहीं आता है। किसान सीएससी पर ही खड़े रहते हैं। कई बार ओटीपी तब आता है, जब किसान रात में खेत पर अपनी फसल की रखवाली कर रहे होते हैं।
इस वजह से फार्मर रजिस्ट्री का काम भी पिछड़ रहा है। जनसुविधा केंद्र के संचालक दिनेश कुमार बताया कि दिन में वेबसाइट धीमी चलती है। रात में जो किसान ओटीपी बता पा रहे हैं, उनकी रजिस्ट्री हो जाती है। कृषि उपनिदेशक राजीव कुमार ने बताया कि फार्मर रजिस्ट्री किसानों की करवाने के लिए कर्मचारी लगे हैं। दिन में सर्वर की समस्या के कारण ओटीपी नहीं पहुंच रहा है इसके कारण पंजीकरण की गति धीमी है। रात में भी कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई है।
फरवरी में आनी है सम्मान निधि की किस्त
फार्मर रजिस्ट्री न हो पाने की दशा में सम्मान निधि का लाभ न मिलने की आशंका से किसान परेशान हैं। इसकी अगली किस्त फरवरी में आनी है। वहीं, अब तक 13 प्रतिशत किसानों की फार्मर रजिस्ट्री पूरी हो सकी है।