बॉयफ्रेंड की हत्या में मौत की सजा पाने वाली युवती पहुंची हाईकोर्ट, कहा- मेरी बात ठीक से नहीं सुनी गई
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कोच्चि: केरल में जहर देकर बॉयफ्रेंड की हत्या करने पर सत्र न्यायालय के मौत की सजा के फैसले को दोषी प्रेमिका ने केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी है। दोषी युवती ने अपनी याचिका में कहा है कि सत्र न्यायालय ने अपने फैसले में सजा को लेकर तथ्यों, सबूतों और कानून की अनदेखी की। याचिका में युवती ने कहा कि उसकी बात को निष्पक्ष रूप से नहीं सुना गया। मामले में केरल हाईकोर्ट ने युवती को दी गई मौत की सजा को लेकर सारे अभिलेख तलब किए हैं
न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार और जोबिन सेबेस्टियन की पीठ ने राज्य सरकार से युवती ग्रीष्मा और उसके चाचा की दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ दायर अपील पर अपना रुख बताने के लिए कहा है। युवती ने याचिका लंबित रहने तक सजा को निलंबित करने की मांग भी की है। हालांकि हाईकोर्ट ने सबूत मिटाने के आरोप में तीन साल की सजा पाने वाले युवती के चाचा निर्मल कुमारन नैयर को राहत दी है। कोर्ट ने उसकी सजा निलंबित कर दी है। वह मौजूदा समय में जमानत पर बाहर हैं।
दोषी युवती ने यह अपील की
मौत की सजा पाने वाली युवती ने अपनी अपील में उच्च न्यायालय से कहा कि सत्र न्यायालय का फैसला और सजा तथ्यों, सबूतों और कानून के खिलाफ है। कोर्ट ने सबूतों के मूल्यांकन में गलती की है। युवती ने कहा कि इस मामले में नेय्याट्टिनकारा अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय को सजा सुनाने का अधिकार नहीं है। क्योंकि अपराध तमिलनाडु में पालकुल पुलिस के अधिकार क्षेत्र में हुआ था। युवती ने दावा किया कि अदालत ने फैसले में गलत कहा है कि युवती ने अपने बॉयफ्रेंड को प्रलोभन दिया था। जबकि सबूत कहते हैं कि मृतक बॉयफ्रेंड अपनी मर्जी से प्रेमिका के घर आया था। इसलिए प्रलोभन की कोई बात नहीं है। अदालत ने अपने फैसले यह बात बिना सबूत के कही है।
युवती ने यह भी कहा कि जांच की शुरुआत से ही मुझे बदनाम करने के लिए अभियान चलाया गया। इससे साफ है कि मुझे दोषी ठहराने और मौत की सजा देने के लिए अदालत पर दबाव डाला गया होगा। याचिका में युवती ने कहा कि उसकी बात को निष्पक्ष रूप से नहीं सुना गया। साथ ही मृतक जहर के कारण मरा था, इसका कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है।