देश में 14 करोड़ से ज्यादा महिलाओं की स्तन कैंसर जांच हुई, लोकसभा में बोले स्वास्थ्य मंत्री नड्डा
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नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि देश में 14 करोड़ से ज्यादा महिलाओं की स्तन कैंसर की जांच की गई है। जांच के दौरान 57,184 महिलाओं में इस बीमारी का पता चला, जिनमें से 50,612 का इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल के आंकड़ों का हवाला देते हुए ये भी बताया कि देश में नौ करोड़ से अधिक महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की जांच की गई है। जिनमें से 96,747 महिलाओं में इस बीमारी का पता चला और 86,196 का इलाज चल रहा है।
गैर संचारी रोगों की जांच के लिए शुरू किया गया एनसीडी पोर्टल
सरकार ने साल 2018 में गैर संचारी रोगों (एनसीडी) की जांच और प्रबंधन और मरीजों की निरंतर देखभाल सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल की शुरुआत की थी। एनसीडी बीमारियों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मुख कैंसर, स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियां शामिल हैं। इस पोर्टल का उद्देश्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्धन, शीघ्र निदान, प्रबंधन और उचित स्तर की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए रेफरल पर ध्यान केंद्रित करना था। इस कार्यक्रम के तहत, देश भर में 770 जिला एनसीडी क्लीनिक, 233 कार्डियक केयर यूनिट (सीसीयू), 372 जिला डे केयर सेंटर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 6410 एनसीडी क्लीनिक स्थापित किए गए हैं।
देश में 2450 बाल देखभाल गृह
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने शुक्रवार को लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में बताया कि देशभर में 2450 बाल देखभाल संस्थान हैं और उनमें से 199 में विशेष जरूरत वाले बच्चों की देखभाल की जाती है। उन्होंने बताया कि 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए कोई संस्थान नहीं है। ठाकुर ने कहा कि मिशन वात्सल्य के तहत देश भर में बाल देखभाल संस्थान और विशेष जरूरत देखभाल केंद्र काम कर रहे हैं। मिशन वात्सल्य के दिशा-निर्देशों के अनुसार, 50 बच्चों की क्षमता वाले सीसीआई में विशेष जरूरतों वाले 10 बच्चों के लिए एक विशेष इकाई हो सकती है। इसी तरह, 25 बच्चों की क्षमता वाले सीसीआई में पांच बच्चों के लिए एक विशेष इकाई हो सकती है। महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात और ओडिशा उन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल हैं, जिनके पास विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए कोई सीसीआई नहीं है।